मधुकामिनी के फूल | About Murraya Paniculata Flower in hindi

  मधुकामिनी के फूल उन चुनिंदा फूलों मे  देने जाते हैं जिन्हें प्रकृति का अनमोल उपहार माना जाता है मधु कामिनी के फूल देखने में जितने सुंदर होते हैं इनकी खुशबू उससे भी कहीं अधिक मनमोहक होती है आज हम Murraya Paniculata Flower के बारे में आपके साथ विस्तृत जानकारियां साझा करेंगे और आपको इस फ्लावर की कुछ खासियत भी बताएंगे

मधुकामिनी के फूल | About Murraya Paniculata Flower in hindi
Murraya Paniculata flower : मधुकामिनी


मधुकामिनी के फूल | About Murraya Paniculata Flower in hindi 

  • Murraya flower ( मुरैना पनीकुलता) एक झाड़ी नुमा पौधा है जिसका आकार लगभग 10 फीट तक जा सकता है
  • यह रुतसी या सिट्रस परिवार का पौधा है इसका वैज्ञानिक नाम मुराया पेनिकुलेटम है
  • इसकी खुशबू संतरा के जैसी होने के कारण इसे ऑरेंज जैस्मिन भी कहते हैं  इसके अलावा इसके क्या अन्य नाम भी हैं जैसे मुर्राया अथवा सैंटिवुड 
  • इसके फूल बसंत ऋतु के प्रारंभ में लगना आरंभ हो जाते हैं जो की सफेद रंग के होते हैं तथा फल ग्रीष्म ऋतु में आते हैं
  • मधु कामिनी को शास्त्रों की दृष्टि से अत्यंत शुभ पौधा माना जाता है  ऐसे प्रकृति का वरदान भी कहा जाता है

मधुकामिनी के उपयोग : Uses of Murraya Paniculata

  • मधु कामिनी के कई उपयोग हैं  इसकी फूलों की पत्तियों का रस इत्र बनाने के काम में आता हैं
  • मधुकामिनी अथवा murraya  के दो तीन पत्तों को उबालकर पीने से गला साफ हो जाता है
  • इसके अतिरिक्त इसकी पत्तियों का उपयोग दांतों के माउथवॉश में भी किया जाता है
  • डायरिया , पेचिस  आदि रोगों में मधु कामिनी का उपयोग किया जाता है आप डॉक्टरी सलाह से ही इसका उपयोग करें
  • इसके अतिरिक्त मधु कामिनी के पौधों को विवाह की अनुष्ठानों में भी उपयोग में किया जाता है यह पौधा के फूल संतरे के समान खुशबू विखेरते हैं जो कि घर में या दफ्तर में सकारात्मक वातावरण बनाए रखते हैं अतः मुर्राया फूल को सकारात्मक का भी प्रतीक माना जाता है

मधुकामिनी या मुर्राया पनीकुलता के पौधे का रोपण : 

सबसे पहले आपको वह स्थान का चुनाव करना होगा जहां आप मधु कामिनी का फूल लगाना चाहते हो ध्यान रहे उसे स्थान पर दिन में 7 से 8 घंटे पर्याप्त धूप आती हो इसके पश्चात आप नर्सरी से मधु कामिनी के बीच या पौधा ला सकते हैं और उसको अच्छी मिट्टी चुनकर लगा सकते हैं ध्यान रहे मिट्टी में कंकर पत्थर ना हो और जैविक खाद जैसे गोबर रेत इत्यादि मिले हो  आप इसमें मधु कामिनी के बीज या पौधे को लगा दें और एक सप्ताह में काम से कम दो बार पानी दें ध्यान रहे पानी  छिड़क कर ही डालें ताकि बीज या पौधे की जड़े ना निकले 

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पौधारोपण के चार से पाचं साल बाद मधु कामिनी या मुर्राया के फूल आने लगते हैं जो कि आपके पूरे आंगन या कमरे में खुशबू का संचार करते रहते हैं और दूर-दूर तक सकारात्मक वातावरण बनाए रखते हैं

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